GETTING MY HINDI STORY TO WORK

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(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि अज्ञेय

(एक) काशी जी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करके एक मनुष्य बड़ी व्यग्रता के साथ गोदौलिया की तरफ़ आ रहा था। एक हाथ में मैली-सी तौलिया से लपेटी हुई भीगी धोती और दूसरे में सुरती की गोलियों की कई डिबियाँ और सुँघनी की एक पुड़िया थी। उस समय दिन के ग्यारह बजे बंग महिला

उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे। विषधर कुछ नहीं कर रहा है।

शेख़ हसीना के मामले में भारत के सामने क्या हैं विकल्प?

एक गाँव में एक किसान रहता था। किसान खेती करने में व्यस्त था तभी उसकी पत्नी वहां आयी और उसके लिए खाना रख कर वहां से घर वापस चली गयी। जब किसान को फुर्सत मिली तो उसने खाना खाने की सोची। पर यह क्या। खाने का बर्तन खाली था। किसान को लगा की उसकी पत्नी ने उसके साथ मज़ाक किया है और वह नाराज़ हो गया। घर जा कर उसने अपनी पत्नी पर बहुत गुस्सा किया। पत्नी को भी कुछ समझ ना आया।

सियार सीधा राजा के पास गया और वहां जा के सियार ने किसान के बारे में राजा को सब बताया। राजा बहुत दिन से अपने खेतों के लिए एक ऐसा ही मेहनती किसान ढूंढ रहा था और उसने सियार से किसान को राजमहल लाने को कहा।

बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।

'मौत के कुंए' में रैप करने वाला वो भारतीय जिसने रैप की दुनिया के बड़े खिलाड़ियों को छोड़ा पीछे

सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी

उस दिन बड़े सवेरे जब श्यामू की नींद खुली तब उसने देखा—घर भर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी काकी उमा एक कंबल पर नीचे से ऊपर तक एक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि-शयन कर रही हैं, और घर के सब लोग उसे घेरकर बड़े करुण स्वर में विलाप कर रहे हैं। लोग जब उमा को श्मशान सियारामशरण गुप्त

सियार ने उस से अपनी जान बचाने की गुज़ारिश की। किसान को सियार पर दया आ गयी और उसने सियार को बर्तन से मुक्त कर दिया। सियार ने किसान को धन्यवाद दिया और किसान की मदद website का वडा कर के वहां से चला गया।

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

बाबा भारती और खड़ग सिंह की यह कहानी मनुष्य के भीतर छिपी अच्छाइयों के पुनरुद्धार और दूसरे मनुष्य पर विश्वास की अनश्वरता की अद्भुत लोकगाथात्मक कहानी है.

सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चीटें-चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी हैं। वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी अमरकांत

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